“Few months ago, I saw a set of literary books, on quite reasonable price and it came into my mind that it was in the city where my friend’s competitive exam was held. I asked if he could check those books quality. He returned after a week and told me that all stories were little incomplete. I had some doubts on his attempt of getting through the books and he stammered that he read few of them.” This was just an instance from my life. I reckon that I picked a person who preferred watching first day-first show of a nonsense movie with a porn-star as actress (No offense to Sunny Leone’s fans) to Batman - The Dark Knight Rises. By now, most of you have understood my point of view.
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“Few months ago, I saw a set of literary books, on quite reasonable price and it came into my mind that it was in the city where my friend’s competitive exam was held. I asked if he could check those books quality. He returned after a week and told me that all stories were little incomplete. I had some doubts on his attempt of getting through the books and he stammered that he read few of them.” This was just an instance from my life. I reckon that I picked a person who preferred watching first day-first show of a nonsense movie with a porn-star as actress (No offense to Sunny Leone’s fans) to Batman - The Dark Knight Rises. By now, most of you have understood my point of view.
पिछले दिनों हिन्दी-दिवस का शोर मचा हुआ था और मैने कहीं पढा कि एक समय था जब यू.पी. में बी.ए. के पहले साल में ही सत्तर प्रतिशत बच्चे जरनल इंग्लिश में फेल हो जाया करते थे | भला हो यू. पी. सरकार और आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति का जिन्होने हिन्दी विषय का विकल्प देकर ग्रामीण परिवेश के बच्चों कोअंग्रेजी के आतंक से मुक्ति दिलाई | परन्तु आज के समय में, जब हर चीज का मापदंड बाजार हो गया है, हिन्दी भी इससे अछूती ना रह पाई |
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Saturday, 1 November 2014
Happy Ending Movies - Spoiling Indian Audiance's Taste
“Few months ago, I saw a set of literary books, on quite reasonable price and it came into my mind that it was in the city where my friend’s competitive exam was held. I asked if he could check those books quality. He returned after a week and told me that all stories were little incomplete. I had some doubts on his attempt of getting through the books and he stammered that he read few of them.” This was just an instance from my life. I reckon that I picked a person who preferred watching first day-first show of a nonsense movie with a porn-star as actress (No offense to Sunny Leone’s fans) to Batman - The Dark Knight Rises. By now, most of you have understood my point of view.
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Saturday, 7 December 2013
नया इतिहास लिखता नमो
रेल यात्रा की अनन्तता का मजा ले रहा था कि तभी पास बैठा एक नौजवान अचानक पुछने लगा,"आपको क्या लगता है? कौन P.M. बनेगा?"
"मैं तो नहीं भाई,माफ़ करना।",मैं बोला।
"अरे जब नमो है तो फ़िर किसी का मौका ही कहाँ मिलेगा।" उसका धारा-प्रवाह भाषण जारी रहा, “अरे 10 रु. का टिकट भी हुआ तो भी भाषण सुनने जाऊँगा।”
मैने सोचा,“ रेल का टिकट खरीदते तो मौत आती है, पर भाषण सुनने के लिए 5 रु. क्या,10 रु. देने को तैयार। वाह रे भारतीय मतदाता।”
मैने उत्सुकतावश पूछा,“ऐसा क्यों?”
वो मुठ्ठी भींचते हुए बोला,“अरे, उसे सुनकर जोश आता है।”
मैं भन्नाया,“अबे कभी टीचर की बात सुनकर जोश नहीं आया ?”
वो लापरवाही से बोला, “अरे वो काम की बात करते थे।”
सच बोलूँ तो ये लड़का सरकारी स्कूलों के उन बच्चों सा लगता है जो फीस जमा करने के दिन घर से 200 रु. लेकर आते थे पर स्कूल में फीस माफी की एप्लीकेशन लगा आते थे।
“अरे ये नेता लोग लोगों का भविष्य बिगाड़ने के अलावा कुछ नहीं करते। हाँ, वादे जरुर करते हैं।”, मैने समझाने की कोशिश की।
“अरे नमो तो देश का भविष्य बदलेगा और नया इतिहास लिखेगा, लिख के रख लो आप।”,उसने पलटवार करते हुए कहा।
अब मैं उसे कैसे बताऊँ कि नमो तो ये सब ‘लिटरली’ कर रहा है।
मैने उससे पुछा, “चल, मेरे 3 सवालों के जवाब देता जा।”
“क्या?”,वो बोला।
"पहला सवाल, सिकन्दर का विजय अभियान कहाँ आकर रुका था ?”
“बिहार में।”
“दूसरा सवाल, तक्षशिला कहाँ है?”
“बिहार में।”
"अच्छा आखिरी सवाल, चंद्रगुप्त मौर्य किस वंश का था?”
“सिम्पल, गुप्त वंश का।” टी. सी. को आता देख वो वह उतरने को बढ़ा।
मैने उसे जाते-जाते एक सलाह दी, “ रैली में जरुर जाना भाई। वहाँ तेरा कुछ हो सकता है।” टी.टी. के पास आने से पहले ही वो “हाँ हाँ !!” बोलते हुए वह उतर कर भागा।
मैने मन ही मन सोचा, “वाह रे नमो, देश के भविष्य का तो पता नहीं मगर इतिहास जरुर बदल डाला तुने।”
"मैं तो नहीं भाई,माफ़ करना।",मैं बोला।
"अरे जब नमो है तो फ़िर किसी का मौका ही कहाँ मिलेगा।" उसका धारा-प्रवाह भाषण जारी रहा, “अरे 10 रु. का टिकट भी हुआ तो भी भाषण सुनने जाऊँगा।”
मैने सोचा,“ रेल का टिकट खरीदते तो मौत आती है, पर भाषण सुनने के लिए 5 रु. क्या,10 रु. देने को तैयार। वाह रे भारतीय मतदाता।”
मैने उत्सुकतावश पूछा,“ऐसा क्यों?”
वो मुठ्ठी भींचते हुए बोला,“अरे, उसे सुनकर जोश आता है।”
मैं भन्नाया,“अबे कभी टीचर की बात सुनकर जोश नहीं आया ?”
वो लापरवाही से बोला, “अरे वो काम की बात करते थे।”
सच बोलूँ तो ये लड़का सरकारी स्कूलों के उन बच्चों सा लगता है जो फीस जमा करने के दिन घर से 200 रु. लेकर आते थे पर स्कूल में फीस माफी की एप्लीकेशन लगा आते थे।
“अरे ये नेता लोग लोगों का भविष्य बिगाड़ने के अलावा कुछ नहीं करते। हाँ, वादे जरुर करते हैं।”, मैने समझाने की कोशिश की।
“अरे नमो तो देश का भविष्य बदलेगा और नया इतिहास लिखेगा, लिख के रख लो आप।”,उसने पलटवार करते हुए कहा।
अब मैं उसे कैसे बताऊँ कि नमो तो ये सब ‘लिटरली’ कर रहा है।
मैने उससे पुछा, “चल, मेरे 3 सवालों के जवाब देता जा।”
“क्या?”,वो बोला।
"पहला सवाल, सिकन्दर का विजय अभियान कहाँ आकर रुका था ?”
“बिहार में।”
“दूसरा सवाल, तक्षशिला कहाँ है?”
“बिहार में।”
"अच्छा आखिरी सवाल, चंद्रगुप्त मौर्य किस वंश का था?”
“सिम्पल, गुप्त वंश का।” टी. सी. को आता देख वो वह उतरने को बढ़ा।
मैने उसे जाते-जाते एक सलाह दी, “ रैली में जरुर जाना भाई। वहाँ तेरा कुछ हो सकता है।” टी.टी. के पास आने से पहले ही वो “हाँ हाँ !!” बोलते हुए वह उतर कर भागा।
मैने मन ही मन सोचा, “वाह रे नमो, देश के भविष्य का तो पता नहीं मगर इतिहास जरुर बदल डाला तुने।”
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Saturday, 21 September 2013
हिन्दी गर्व की नहीं,बाजार की भाषा है ?
पिछले दिनों हिन्दी-दिवस का शोर मचा हुआ था और मैने कहीं पढा कि एक समय था जब यू.पी. में बी.ए. के पहले साल में ही सत्तर प्रतिशत बच्चे जरनल इंग्लिश में फेल हो जाया करते थे | भला हो यू. पी. सरकार और आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति का जिन्होने हिन्दी विषय का विकल्प देकर ग्रामीण परिवेश के बच्चों कोअंग्रेजी के आतंक से मुक्ति दिलाई | परन्तु आज के समय में, जब हर चीज का मापदंड बाजार हो गया है, हिन्दी भी इससे अछूती ना रह पाई |
Friday, 13 September 2013
Walkthrough : Stronghold Crusader Trail [The Barren Land 18th-stage]
I know walkthrough for stronghold crusader is null and void
nowadays but I think the 17th and 18th stage of
stronghold crusader is really crucial. Recently a friend of mine gave me this
game as challenge. I usually play combet games but after playing it for a few
days, I found it very interesting. Fortunately, I’ve completed 19 stages.So
here it is the walkthrough for 18th stage of stronghold crusader : -
Walkthrough : Stronghold Crusader Trail 17th stage [Realm Of The Camels]
We are surrounded by 3 enemies. Use natural resources wisely.
So first of all watch this video and survive at least for 10 minutes :D
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